ANDHRATHADHI: जिस समय झंझारपुर लौकहा छोटी रेललाइन का पहलीवार निर्माण हुआ था तीन साल में काम पूरा हो गया था। और ट्रैक पर गाड़ियां दौड़ने लगी थी। लेकिन बड़ी लाइन के आमान परिवर्तन के लिए मेगा ब्लॉक लिए करीब पांच वर्ष बीत गए। लेकिन निर्माण कार्य पूरा नही हुआ है। जानकार लोगों के अनुसार अगर यही हाल रही तो अगले पांच वर्षों में इस पर गाड़ियां नही चल पायेगी। वर्ष 2017 के 23 मई को इस रेल खण्ड में मेगा ब्लॉक लगा था।
महरैल रेलवे स्टेशन का अधूरा पड़ा काम || Star Mithila News |
तब उपभोक्ताओं से कहा गया था कि वर्ष 2018 के मध्य तक इस रेल खण्ड पर ब्रॉड गेज की गाड़ियां चलने लगेगी। पिछले पांच वर्षों में अबतक रेल पथ भी नही बना है। प्लेटफॉर्म व स्टेशन भवन सहित सभी आवश्यक निर्माण कार्य अबतक आधा अधूरे पड़े है। न ट्रैक बनी है और न बहुत सारे आवश्यक निर्माण कार्यों की शुरुआत हुई है।
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स्थानीय सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ताओं अनिल लोहिया, महेंद्र राय, चंद्रकुमार चौधरी आदि के अनुसार अबतक आमान परिवर्तन पूरा नही होने के पीछे इस इलाके के राज्य और केंद्र स्तरीय जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता है।
सरकारों तक इस बड़ी जनसमस्या को पहुंचाने में विफल हैं। जब कुदाल व टोकरी से 1972 में इस रेलखंड का निर्माण शुरू हुआ था और 1975 में इस पर गाड़िया चलने लगी थी। अब तो 75 फीसदी कार्य मशीन से होते है। बाबजूद आघे अधूरे पड़े हैं। नेपाल सीमा छूने वाली और जुड़े क्षेत्र के आर्थिक और शैक्षणिक विकास के लिए यह एक अति महत्वपूर्ण रेल खण्ड है।
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इस रेल खण्ड में पांच रेलवे स्टेशन और चार हाल्ट है। अमान परिवर्तन के लिए इस रेलखण्ड के बन्द रहने से यहां के रेल उपभोक्ताओं को बहुत दिक्कत हो रही है। मार्फत रेल गाड़ियां रोज सैकड़ो लोगो को कोर्ट कहचरी के कार्यों के लिये झंझारपुर, दरभंगा और मधुबनी आना जाना पड़ता है। मेगा ब्लॉक के बाद उन सबों पर यात्रा खर्च का बोझ बढ़ गया है।
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एहि रेलखंडक शिलान्यास मई 1974 मे भेल अछि आ 1975 मे सरस्वती पूजा दिन वाचस्पति नगर ट्रेन चलल।
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