DARBHANGA: दादी-नानी के मुंह से बचपन में सुने किस्से-कहानी याद होंगे। गांवों में जब भी बच्चे शाम को रोते उसे चुप कराने को दादी-नानी दोहे सुनातीं। जब कभी भी वह दूध नहीं पीते अथवा खाना नहीं खाते, तब उसे मनाने को चंदा मामा के पास ले जातीं। फिर सुनातीं- चंदा मामा दूर के, पुआ पकाए गुड़ के, अपने खाए थाली में, बाबू को खिलाए प्याली में, प्याली गई टूट, बाबू गया रूठ... इस तरह बच्चे मान जाते थे। वह रोना-धोना बंद कर खाना खा लेते थे। दूध आदि भी पी लेते थे। बचपन में सुनी इस कहानी के पात्र चंदा मामा अब दूर के... नहीं रहेंगे। उन्हें अब लोग दरभंगा पॉलीटेक्निक में देख सकेंगे। पॉलीटेक्निक इंस्टीट्यूट परिसर में बन प्लानेटोरियम बन कर लगभग तैयार है। इसी माह के अंत तक या सितंबर में इस आधुनिकतम तारामंडल की शुरुआत हो जाएगी। इस तारामंडल में ही साइंस म्युजियम का भी निर्माण हो रहा है। लोग प्लानेटोरियम में बैठ कर ग्रह-नक्षत्रों की दुनिया से रू-ब-रू हो सकेंगे। चांद-तारों को देख सकेंगे। सोलर सिस्टम यानी खगोलीय स्थितियों के बारे में जान सकेंगे।


छात्रों को तारे टूटने, उल्कापिंड और धरती के घूमने संबंधी जानकारियां मिल सकेंगी। उल्लेखनीय है कि राज्य की राजधानी पटना की तरह दरभंगा में भी तारामंडल बन रहा है। निर्माण कार्य पूरे हो चुके हैं। आवश्यक उपकरण भी लगभग लग चुके हैं। मिथिलांचल-तिरहुत की नई पीढ़ी को पटना के बजाय दरभंगा में ही पॉलीटेक्निक इंस्टीच्युट ग्राउंड स्थित तारामंडल में सौर विज्ञान से जुड़ी बातों की जानकारी मिल सकेगी। लोग खासकर बच्चे यहां सैर करेंगे। आकाश में तारों के बीच और अन्य तरह की हरकतों से जुड़ी जानकारियों से अवगत होंगे।

बिल्डिंग की छत पर विकसित हो रहा गार्डेन

भवन की छत पर पाथवे बनाया जा रहा है और रूफ टॉप गार्डन विकसित किया जा रहा है। लोग वहां बैठ कर प्रकृति के बीच एंज्वॉय कर सकेंगे। तारामंडल बन जाने से न सिर्फ उत्तर बिहार, बल्कि पड़ोसी देश नेपाल के सीमावर्ती जिलों के छात्रों को भी ग्रहों और तारों की दुनिया की सैर करने का अवसर मिलेगा। यहां कई तरह के खगोलीय रिसर्च भी होंगे।

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दो चरणों में हो रहा है काम, पहला चरण पूरा

राज्य सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग नेे 164 करोड़ की यह परियोजना दो फेज में पूरी होनी है। पहले चरण का काम 73.73 करोड़ रुपए की लागत से पूरा हो चुका है। इस फेज में तारामंडल सह विज्ञान संग्रहालय का निर्माण हुआ है। परिसर में डेढ़ सौ सीटों के प्लानेटोरियम और 300 सीटों के ऑडिटोरियम का निर्माण हो रहा है।

यह सबसे आधुनिक तारामंडल होगा

तारामंडल निर्माण करने वाली टीम के तकनीकी विशेषज्ञ इंजीनियर अब्दुल बारी के अनुसार यह बिहार के साथ देश में भी अब तक के सबसे आधुनिक तारामंडल में एक होगा। 73 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से निर्माण हो रहा है। इसी महीने तारामंडल लोगों के लिए खोल देने की तैयारी है। इस अत्याधुनिक प्लानेटोरियम के निर्माण के दूसरे चरण में शोध कार्यों को देखते हुए काम कराए जाएंगे।

लजीज व्यंजन के साथ शॉपिंग की भी सुविधा

तारामंडल की भव्यता देखने के साथ लोग पार्क में घूम सकेंगे। पसंदीदा चीजें खरीद सकेंगे। यहां के रेस्टोरेंट में लजीज व्यंजन का भी लुत्फ उठा सकेंगे। प्लानेटोरियम लोगों के लिए खुल जाने के साथ ही पर्यटन क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी। दरभंगा, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, मधुबनी, सीतामढ़ी, सुपौल और सहरसा के साथ ही उत्तर बिहार के लोगों को जानकारियां मिलेंगी।