न कोई खास सुविधा न रफ्तार में तेजी फिर भी रेलवे पैसेंजर ट्रेनों का किराया एक्‍सप्रेस ट्रेनों के बराबर वसूल रहा है। दो अलग-अलग तरह की, क्‍लास की ट्रेनों का किराया बराबर है। मसलन, आप गोरखपुर से बस्ती पैसेंजर ट्रेन से जाएं या फिर एक्सप्रेस से, दोनों ट्रेनों में किराया 40 रुपये ही देना होगा। पैसेंजर के यात्रियों को दोगुना किराया देकर भी कोई विशेष सुविधा नहीं मिल रही है। यात्रा में समय भी ज्यादा लग रहा है।



कोरोना महामारी के बाद स्पेशल के रूप में चलने वाली एक्सप्रेस ट्रेनें तो डेढ़ साल बाद सामान्य हो गईं लेकिन पैसेंजर ट्रेनें अब भी स्पेशल बनी हुई हैं। पैसेंजर ट्रेनें अभी भी अनारक्षित स्पेशल के रूप में चल रही हैं और यात्रियों को दोगुना किराया देना पड़ रहा है। एक्सप्रेस ट्रेनों को सामान्य करने के बाद भी पैसेंजर ट्रेनें अनारक्षित एक्सप्रेस के रूप में ही चल रही हैं।

इससे जहां पहले पैसेंजर ट्रेन से गोरखपुर से गोण्डा का किराया 45 रुपये देना होता था वहीं अनारक्षित स्पेशल ट्रेन के रूप में 90 रुपये देना पड़ रहा है। इन ट्रेनों से भी यात्रा में समय उतना ही लगता है, जितना लॉकडाउन के पहले पैसेंजर ट्रेनों से लगता था। स्थानीय यात्रियों को सुविधा देने के लिए एनई रेलवे में इन दिनों 70 अनारक्षित स्पेशल ट्रेनें चल रही हैं। इनमें 15 पैसेंजर गोरखपुर से विभिन्न रूटों पर हैं।

एनईआर से चल रहीं 125 एक्सप्रेस-सुपरफास्ट ट्रेनें
एनई रेलवे से इन दिनों विभिन्न रूटों पर 125 ट्रेनें संचालित हो रही हैं। एक दर्जन ट्रेनों को छोड़ अन्य सामान्य की तरह चल रही हैं। किराया भी पहले जैसा सामान्य ही है। वहीं गोरखपुर से 16 जोड़ी पैसेंजर ट्रेनें चल रही हैं।

पैसेंजर ट्रेन में कम हो रहे यात्री
जनरल कोच का किराया बराबर होने की वजह से पैसेंजर ट्रेनों में यात्रियों की संख्या कम होती जा रही है। यात्री घटते गए तो गोरखपुर-अयोध्या पैसेंजर की तरह और भी पैसेंजर ट्रेनें निरस्त हो सकती हैं। पैसेंजर ट्रेनों की बुकिंग रोजाना 1200 से 1300 के बीच है, जबकि कोविड के पहले सामान्य किराए पर 4 हजार से अधिक टिकट बुक होते थे।

पैसेंजर ट्रेनों में यात्री सुविधाएं कम होती हैं और यात्रा में समय भी अधिक लगता है। ऐसे में उसका किराया एक्सप्रेस ट्रेन से कम ही होना चाहिए।