JHANJHARPUR: पथिया और कुदाल के बल पर पहली बार झंझारपुर-लौकहा रेलखंड निर्माण में रेल विभाग ने मात्र 3 साल के अंदर निर्माण कार्य पूरा कर रेलवे ट्रैक पर झंझारपुर से लौकहा रेलगाड़ी दौरा दी। लेकिन जब बड़ी रेल लाइन के लिए निर्माण कार्य शुरू हुआ तो 80 प्रतिशत कार्य मशीन से शुरू किया गया जो आज 5 साल बीत जाने के बावजूद भी झंझारपुर से लौकहा रेलखंड पर रेलगाड़ी नहीं दौड़ा पाई है। रेलवे ट्रैक और रेलवे से जुड़े रेलवे स्टेशन, पुल पुलिया वगैरह आज भी अधूरा पड़ा हुआ है। वर्ष 1972 से 75 का है।
तात्कालीन रेल मंत्री स्वर्गीय ललित नारायण मिश्र थे जिन्होंने अपने मंत्रित्व काल वर्ष 1972 में रेल निर्माण का कार्य शुरू करवाया और 1975 में झंझारपुर से लौकहा तक रेलगाड़ी दौड़ना शुरु हो गया। इतना ही नहीं इस रेलखंड के निर्माण काल से ही स्थानीय हजारों परिवारों की रोजी रोजगार मिट्टी काटने से लेकर अन्य कार्यों में मिले। बाद में कई मिट्टी काटने वाले मजदूरों को रेलवे में स्थायी सेवा करने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ था। लेकिन जब 80 प्रतिशत से अधिक कार्य मशीन के द्वारा मिट्टी भराई से लेकर रेल ट्रैक बिछाने का काम किया जाता है। फिर भी 5 सालों में रेलगाडी नहीं दौड़ा पायी। इस रेलखंड का कार्य आधा अधूरा है। आमान परिवर्तन को लेकर वर्ष 2017 के 26 मई की रात मेगा ब्लॉक किया गया था।
विभाग ने लोगों को भरोसा दिया कि 1 साल के अंदर यानी 18 से 19 के बीच इस रेलखंड पर ब्रॉडगेज की सभी गाड़ियां चलने लगेगी। इन 5 वर्षों में अभी तक रेल ट्रैक पूरा नहीं हुआ प्लेटफार्म से लेकर रेलवे स्टेशन भवन तक का कार्य आधा अधूरा पड़ा हुआ है। इतना ही नहीं झंझारपुर रेलवे स्टेशन से 6 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित झंझारपुर बाजार हॉल्ट है। जहां रेल ट्रैक समेत अन्य कार्य वगैरह पूरा नहीं हुआ है। ऐसे में इस 5 साल भी गुजर जाने के बाद भी रेल ट्रैक पर रेल चलना नामुमकिन जैसे लग रहा है।
स्थानीय लोगों की माने तो यहां के राजनेताओं में एमएलए से लेकर एमपी तक इस रेलखंड के लिए और संवेदनशील नहीं हैं और निष्क्रियता के कारण सरकार तक इस समस्याओं को पहुंचाने के लिए कोई दिलचस्पी नहीं लेना चाहते हैं। लोगों ने बताया इस रेलखंड के जितने भी अंडरपास बनाए गए हैं वह सभी आम जनता ओं को दुख और कष्ट पहुंचाने के लिए ही बनाया गया है। जिसका निदान इन 5 सालों के अंदर नहीं किया जा रहा है। खासकर बारिश के मौसम में लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।इस रेलखंड का चालू नहीं होने से लोगों को आर्थिक क्षति पहुंच रही है।