कटड़ा: डुग्गा-सावलकोट रेलवे स्टेशन आपस में जुड़े

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INDIAN RAILWAY: भारतीय रेलवे ने सोमवार को जम्मू कश्मीर में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी कटड़ा-बनिहाल रेलवे परियोजना की तीसरी सबसे लंबी सुरंग (टी-13) आरपार हो गई है। रियासी जिले में 9.8 किलोमीटर लंबी इस सुरंग में आखिरी धमाका होते ही इसके दोनों सिरे जुड़ गए। इस पर अधिकारियों व कर्मचारियों ने भारत माता के जयकारे गूंजने लगे। इस उपलब्धि के साथ ही रियासी के डुग्गा और सावलकोट रेलवे स्टेशन भी आपस में जुड़ गए हैं। ये दोनों स्टेशन सुरंग के दोनों सिरों पर हैं। इस रेलखंड में 12.6 किमी की सबसे लंबी सुरंग टी-49बी है।


कटड़ा से रामबन जिले के बनिहाल तक बनने वाला यह रेलखंड दरअसल ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) परियोजना का हिस्सा है। काजीगुंड से बारामुला 118 किलोमीटर लंबे ट्रैक पर अक्टूबर 2009 में ट्रेन चलने लगी थी। इसके अलावा 18 किलोमीटर लंबे बनिहाल-काजीगुंड ट्रैक को जून 2013 में जोड़कर यातायात बहाल कर दिया था। 

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वहीं, ऊधमपुर से कटड़ा (रियासी जिला) तक 25 किलोमीटर तक रेल ट्रैक का शुभारंभ जुलाई 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था। अब सिर्फ कटड़ा से बनिहाल के बीच (111 किलोमीटर हिस्से में) ही रेल ट्रैक बनना है। इस दुर्गम रेल लिंक का 97.57 किलोमीटर हिस्सा सुरंग से गुजरेगा।


रेलवे सुरंग नंबर 13 का निर्माण रियासी जिले में डुग्गा और सावलकोट के बीच की पर्वत श्रृंखला में हुआ है। यह जिले में बन रहीं रेलवे की सभी सुरंगों में सबसे अधिक लंबी है। इसका निर्माण कार्य बेंसार कंस्ट्रक्शन कंपनी ने वर्ष 2017 में शुरू किया था। इसका एक सिरा पी-1 डुग्गा की तरफ है तो दूसरा सिरा पी-2 सावलकोट की तरफ। इस सुरंग के दोनों तरफ रेलवे स्टेशन होंगे। मुख्य सुरंग की लंबाई 9.8 किलोमीटर है। इसके बराबर में इसी लंबाई की एस्केप सुरंग भी बनाई गई है। एस्केप सुरंग के दोनों छोर इसी माह तीन अगस्त को जोड़ दिए गए थे।

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पहले पूजा फिर धमाके के लिए दबाई बटन : 

मुख्य सुरंग के दोनों छोर जोड़ने के मौके पर उत्तर रेलवे के सीएओ एसपी माही विशेष तौर पर मौजूद रहे। आखिरी विस्फोट करने से पहले सुरंग के भीतर ही पूजा-अर्चना की गई। इसके बाद उन्होंने सावलकोट की तरफ से सुरंग के 500 मीटर भीतर बटन दबाकर अंतिम धमाका किया और फिर सुरंग के दोनों सिरे जुड़ गए। इसके साथ ही रेलवे अधिकारी और कर्मचारी खुशी से झूमने लगे। उन्होेंने भारत माता के जयकारे लगाए और गले लगाकर खुशियां खुशियां जाहिर की। इसके बाद मलबा हटाने का काम शुरू किया गया। निर्माण कंपनी अधिकारियों ने बताया कि अब अगला काम गैंट्री यानी की फिर्निंशग लाइन का होगा।

उपलब्धियों भरा रहा अगस्त : 

  • तीन अगस्त को रेलवे सुरंग नंबर 13 की एस्केप सुरंग को दोनों तरफ से आरपार किया गया।
  • 13 अगस्त को रियासी में ही कौड़ी और बक्कल के बीच चिनाब नदी पर बन रहे विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे आर्च पुल के डेक का काम पूरा हुआ था।
  • अब 29 अगस्त को डुग्गा और सावलकोट के बीच रेलवे सुरंग नंबर 13 के दोनों छोर भी जोड़ दिए गए। 

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