DHARM: इस साल जन्माष्टमी की तारीख को लेकर अलग-अलग मत चल रहे हैं। मगर इस बार गृहस्थ और वैष्णव अलग-अलग नहीं बल्कि एक साथ 19 अगस्त को ही कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाएंगे। आचार्य माधवानंद (माधव जी)ने कहा कि कि पहले गृहस्थ और साधु-संत अलग-अलग दिन जन्माष्टमी मनाते थे। इस साल ऐसा नहीं होगा। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्र कृष्ण पक्ष अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था, लेकिन इस बार 19 अगस्त (शुक्रवार) को दो साल बाद जन्माष्टमी कृतिका नक्षत्र में मनाया जाएगा।
गृहस्थ सुख-सौभाग्य, पुत्र और वंशवृद्धि के लिए भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते हैं। रोहिणी नक्षत्र का संबंध जहां चंद्रमा से होता है, वहीं कृतिका नक्षत्र का संबंध सूर्य से होता है, जो शासन सत्ता से जुड़ा होता है।
इस जन्माष्टमी पर ध्रुव योग के साथ जयद योग का युग्म संयोग बन रहा है। भक्त धन-धान्य व वंश वृद्धि के लिए लड्डू गोपाल को पीत पुष्प में इत्र लगाएं। स्वास्थ्य संबंधी परेशानी दूर करने के लिए गोपाल को गुड़ से निर्मित खीर और हलवा का भोग लगाना चाहिए।
कई रूपों में कृष्ण की मूर्तियां
बाजार में बाल गोपाल की मिट्टी से लेकर पीतल तक की मूर्तियां बिक रही हैं। इनमें बांसुरी बजाते, पालना में बैठे, माखन खाते कृष्ण की बालरूप मूर्तियां शामिल हैं।
बालरूप में बांसुरी की तान वाली मुद्रा, मोरपंख और सोने वाली मुद्रा की मूर्तियां भी श्रद्धालु खरीद रहे हैं। पटना में 500 रुपये से लेकर 8000 रुपये तक की मूर्तियां ज्यादा बिक रही हैं। हालांकि बाजार में पीतल की मूर्तियां 12 से लेकर 15 हजार रुपये के बीच कई आकार में उपलब्ध हैं।