INDIAN RAILWAY: रेलवे में यात्री आरक्षण टिकट काउंटर (पीआरएस) को भी निजी हाथ में देने की तैयारी शुरू हो गई है। बोर्ड ने पश्चिमी मध्य रेलवे के कोटा मंडल को पायलट प्रोजेक्ट के लिए चुना है। वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक ने आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की तैनाती की नई व्यवस्था शुरू करने से पहले पार्टियों (आमजन या संस्थाओं) से एक्सप्रेशन आफ इंट्रेस्ट (अभिरुचि की अभिव्यक्ति) भी मांग लिया है। लोगों के सुझाव और प्रस्ताव आने के बाद आवश्यकतानुसार टेंडर की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
दिसंबर तक परीक्षण पूरा करने के लिए निर्देश
रेलवे बोर्ड ने पश्चिमी मध्य रेलवे को दिसंबर तक परीक्षण पूरा करने के लिए निर्देश दिए हैं। परीक्षण के दौरान आने वाली कमियों को रेखांकित कर उसे दूर करने के बाद मार्च 2023 तक दिशा-निर्देश (गाइडलाइन) जारी कर दिए जाएंगे। अगले वर्ष से पूर्वोत्तर रेलवे सहित भारतीय रेलवे के सभी आरक्षण काउंटरों पर निजी कर्मचारी बैठाने की तैयारी है। बोर्ड इस व्यवस्था में बदलाव इसलिए कर रहा है, क्योंकि आरक्षण काउंटरों की भीड़ लगभग कम हो गई है।
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90 प्रतिशत लोग आइआरसीटीसी की वेबसाइट से ले रहे टिकट
पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्यालय गोरखपुर में ही करीब 90 प्रतिशत लोग इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कारपोरेशन (आइआरसीटीसी) की वेबसाइट से आनलाइन टिकट बुक कर रहे हैं। रेलकर्मी भी आनलाइन सुविधा पास पर आनलाइन टिकट बुक कर ले रहे हैं। ऐसे में आरक्षण काउंटरों की उपयोगिता धीरे-धीरे समाप्त होने लगी है। वेटिंग टिकट लेने वाले कुछ यात्री ही काउंटरों तक पहुंच रहे हैं। काउंटर भी कम हो गए हैं। आठ से दस काउंटरों की जगह अब महज दो से तीन काउंटर ही संचालित हो रहे हैं।
जनरल टिकट व पूछताछ काउंटरों पर बैठने लगे हैं निजी कर्मी
रेलवे स्टेशनों के जनरल टिकट और पूछताछ काउंटरों पर निजी कर्मी बैठने लगे हैं। पूर्वोत्तर रेलवे के एनएसजी (नान सब अर्बन ग्रुप) 4, 5 और 6 श्रेणी के स्टेशनों पर स्टेशन टिकट बुकिंग एजेंट (एसटीबीए) की तैनाती लगभग पूरी कर ली गई है। वाराणसी मंडल में ही एनएसजी 1, 2 व 3 श्रेणी के लगभग आधा दर्जन स्टेशनों को छोड़कर 31 स्टेशनों पर एसटीबीए तैनात कर दिए गए हैं। स्टेशनों के अनाउंस सिस्टम भी निजी हाथ में दे दिए गए हैं।
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रेलवे बोर्ड दे रहा पद सरेंडर व आउटसोर्स पर जोर
मानव संसाधन के मद में हो रहे खर्चों को कम करने के लिए जोर दे रहे रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनय कुमार त्रिपाठी सभी जोन के महाप्रबंधकों को पत्र लिख चुके हैं। पत्र के अनुसार भारतीय रेलवे के कुल खर्च का 67 प्रतिशत मानव संसाधन पर जाता है। खर्चों में कमी लाने के लिए रेलवे प्रशासन कम कार्य वाले पदों पर तैनात कर्मियों को दूसरे कार्यस्थलों पर समायोजित और खाली हो रहे पदों को सरेंडर कर आवश्यक कार्य आउटसोर्स से कराने पर जोर दे रहा है।