SAHARSA: समस्तीपुर डिवीजन के अंतर्गत सहरसा जंक्शन के बाद सबसे अधिक रेल राजस्व देने वाला सिमरी बख्तियारपुर रेलवे स्टेशन शाम होते ही अंधेरे में डूब जाता है. ऐसे में जब पैसेजर या मेल एक्सप्रेस ट्रेन प्लेटफार्म नंबर दो पर लगती है तो अंधेरे में ही यात्री ट्रेन में सवार होते है. वही शाम होते ही प्लेटफार्म नंबर 2 असामाजिक तत्वों का अड्डा भी बन जाता है. कई बार रेल यात्रियों के अंधेरे का फायदा उठाकर असामाजिक तत्थ मोबाइल और पर्स छीन कर फरार हो जाते हैं. वहीं प्लेटफार्म नंबर एक पर भी पर्याप्त बिजली का इंतजाम नहीं है. जो बल्ब लगाये भी गये है, सभी खराब है.
प्लेटफॉर्म के बाहर ही रह जाती है 24 कोच वाली आधी ट्रेन
सहरसा. वर्ष 2018 में सिमरी बख्तियारपुर रेलवे स्टेशन का प्लेटफार्म नंबर 2 का निर्माण और ऊंचीकरण की शुरुआत की गयी थी. लाखों रुपये खर्च कर प्लेटफार्म का उच्चीकरण तो किया गया, लेकिन प्लेटफार्म की लंबाई आधी अधूरी ही रह गयी. 300 मीटर भी प्लेटफार्म की लंबाई नहीं है. ऐसे में जब मजबूरीवश 24 कोच की ट्रेन प्लेटफार्म नंबर दो पर लगायी जाती है तो आधी ट्रेन प्लेटफार्म के बाहर ही रह जाती है. जंगली झाड़ियों के बीच यात्री चलकर ट्रेन में सवार होते हैं, जबकि कई बार मामले को लेकर समस्तीपुर डिवीजन के डीआरएम ने प्लेटफॉर्म के डेवलपमेंट का निर्देश दिया था.
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बंद है हाइमास्ट लाइट
सिमरी बख्तियारपुर रेलवे स्टेशन के सर्कुलेटिंग एरिया में हाई मास्ट लाइट कई महीनों से बंद है. रात के अंधेरे में ही यात्रियों की आवाजाही होती है. प्लेटफार्म नंबर एक जो 590 मीटर लंबा है, जब लंबी दूरी की ट्रेन रुकती है तो वैशाली एक्सप्रेस, पुरबिया एक्सप्रेस के पैसेंजर को रात्रि के अंधेरे में ही माल गोदाम के पास उतरना पड़ता है. यात्रियों की माने तो सभी एसी कोच आगे लगा रहता है, जो मालगोदाम के पास ही लगता है.