नई दिल्‍ली. केंद्र सरकार ने देश के पहले सरकारी 5 सितारा होटल, अशोक होटल को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी कर ली है. इस संबंध में तैयार किए गए प्रपोजल के अनुसार, सरकार अब अशोक होटल को 60 वर्षों के लिए ऑपरेट-मेनटेन-डेवलप (OMD) मॉडल के तहत पट्टे पर देगी. साथ ही इस होटल की अतिरिक्‍त 6.3 एकड़ जमीन को व्‍यावसायिक उद्देश्‍यों के लिए बेचा जाएगा.


बिजनेस स्‍टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में यूनेस्‍को सम्‍मलेन के लिए 1960 के दशक में इस होटल का निर्माण कराया गया था. तब इसे बनाने पर तीन करोड़ रुपये खर्च हुए थे. 11 एकड़ में फैला अशोक होटल देश का पहला फाइव स्टार सरकारी होटल था. इसमें 550 कमरे, करीब दो लाख वर्ग फुट रिटेल एंड ऑफिस स्पेस, 30,000 वर्ग फुट बैंक्वेंट और कॉन्फ्रेंस फैसिलिटीज तथा 25,000 वर्ग फुट में फैले आठ रेस्तरां शामिल हैं.

यह है योजना
अशोक होटल का मालिकाना हक आईटीडीसी (ITDC) के पास है. सरकार के प्रपोजल के अनुसार, प्राइवेट पार्टनर इस होटल का विकास नए सिरे से करा सकता है. दावा किया जा रहा है कि इसे दुनिया के जाने-माने हेरिटेज होटलों की तर्ज पर विकसित किया जाएगा. नए सिरे से इसका विकास पर 450 करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है. यही नहीं, होटल के पास ही जो 6.3 एकड़ अतिरिक्‍त जमीन है उस पर 600 से 700 प्रीमियम सर्विस अपार्टमेंट बनाए जाएंगे. इनसे डिजाइन-बिल्ड-फाइनेंस-ऑपरेट एंड ट्रांसफर मॉडल के जरिए कमाई होगी.

यूनेस्को कॉन्फ्रेंस के लिए बनाया गया था इसे
साल 1955 में तत्‍कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू यूनेस्को के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए फ्रांस की राजधानी पेरिस गए थे. नेहरू ने यूनेस्को को अगली कॉन्फ्रेंस भारत में करने के लिए न्योता दे दिया, लेकिन तब नई दिल्ली में कोई विश्‍व स्‍तरीय होटल नहीं था. इसलिए इसे बनाने का निर्णय लिया गया. इसका नाम तब ‘द अशोका’ रखा गया. मुंबई के आर्किटेक्ट बीई डॉक्टर को इसके डिजाइन और निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गई. महारानी एलिजाबेथ द्वितीय, मार्गरेट थेचर, बिल क्लिंटन, चे ग्वेरा और फिदेल कास्त्रो जैसी कई जानी मानी हस्तियों ने इस होटल की मेहमाननवाजी का लुत्फ उठाया था.