MORADABAD: ब्रिटिश हुकूमत को हिलाने वाला काकोरी ट्रेन लूट कांड इतिहास के पन्ने पर दर्ज है। क्रांतिकारियों ने जिस ट्रेन में अंग्रेजी सरकार का खजाना लूटा था, वह 8 डाउन सहारनपुर-लखनऊ पैसेंजर थी। काकोरी के पास ट्रेन को लूटा गया था। ऐतिहासिक काकोरी कांड की गवाह रही इस ट्रेन से रेलवे का नाता टूट चुका है। कोरोना काल से पहले लेटलतीफ करार देकर इस पैसेंजर ट्रेन का संचालन पूरी तरह बंद कर दिया गया। मंडल के पहले स्टेशन से आखिरी स्टेशन तक जाने वाली ट्रेन मुरादाबाद की रीढ़ मानी जाती है।
मुरादाबाद मंडल के 72 स्टेशनों से गुजरने वाली ट्रेन में मजदूर तबके से लेकर दैनिक यात्री तक सफर करते थे। काकोरी ट्रेन कांड की घटना 9 अगस्त,1925 की है। इस बार अमृत महोत्सव में काकोरी स्टेशन को सजाया-संवारा गया लेकिन ऐतिहासिक काकोरी कांड की गवाह रही ट्रेन को चलाने की याद नहीं आई। मुरादाबाद के लिए यह ट्रेन कई मायनों में खास है।
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सहारनपुर (अंबाला) से चलने वाली पैसेंजर ट्रेन इस मंडल का पूरा क्षेत्र कवर करती थी। सहारनपुर से चली ट्रेन मुरादाबाद,रामपुर, बरेली, शाहजहांपुर, हरदोई होकर लखनऊ जातीं थी। यह पहली ऐसी ट्रेन थी जो मंडल का पहले और आखिरी स्टेशन को जोड़ती थी। बलियाखेड़ी (सहारनपुर) और आलम नगर (लखनऊ) के बीच ट्रेन करीब 72 स्टेशनों को पार करती थी। ट्रेन की टाइमिंग मजदूर, छात्र-छात्राएं व दैनिक यात्रियों की अरसे तक पहली पसंद रहीं। वहीं छोटे व्यापारियों के लिए यह सुखद यह कि हर स्टेशन पर स्टॉपेज से पार्सल की सुविधा भी रहती थी।
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बदली ट्रेन नंबर से इसकी पहचान अंग्रेजों के समय से चल रही ट्रेन आठ नंबर था। पर बाद में ट्रेन नंबर 51-52 हो गया। अस्सी के दशक में ट्रेन 351-352 कहलाई। रेलवे ने ट्रेनों के नंबर बदले तो सहारनपुर-लखनऊ पैसेंजर 54351-54352 हो गई। कई साल से इसी नंबर से गाड़ी का संचालन हुआ। ट्रेन के न चलने से कई स्टेशनों की आय निल ट्रेन हर स्टेशनों की अर्निंग जमा करती चलती थी। ट्रेन बंद हुई तो कई छोटे स्टेशनों की आय भी खत्म हो गई। शहजादनगर, बालामऊ, तिलहर समेत तमाम स्टेशनों पर आय अब न के बराबर है।
आम यात्री से लेकर जनप्रतिनिधियों तक ने की मांग