ALIGARH: दिल्ली-हावड़ा रेल रूट पर अलीगढ़ रेलवे स्टेशन ए श्रेणी में गिना जाता है। यहां से लगभग 300 ट्रेनें गुजरती हैं। शिक्षा और ताला उद्योग के लिए विख्यात इस शहर को मुंह चिढ़ा कर 251 ट्रेनें बिना रुके आगे बढ़ जाती हैं।
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राजधानी, कानपुर-दिल्ली शताब्दी एक्सप्रेस, नई दिल्ली-वाराणसी शिवगंगा एक्सप्रेस, आदि ट्रेनों के ठहराव की मांग लंबे समय से चली आ रही है। लेकिन नतीजा सिफर है। इसके अलावा, यहां से ईएमयू पैसेंजर ट्रेनों को छोड़ दिया जाए तो कोई भी एक्सप्रेस/सुपरफास्ट ट्रेन का संचालन नहीं होता है।
कई जनप्रतिनिधि आए और गए। रेलवे की उपेक्षा एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उचित पैरवी न होने से किसी नई ट्रेन का अलीगढ़ में ठहराव नहीं हो सका । हालांकि मौजूदा भाजपा सांसद सतीश गौतम ने गंभीरता से अलीगढ़ में कुछ अहम ट्रेनों के ठहराव की मांग उठाई है। लेकिन उनकी अपनी ही सरकार इस मांग को पूरा करने में देर कर रही है।
दक्षिण भारत के लिए ट्रेन चलाएं
अलीगढ़ से औसतन करीब 30 लाख रुपये का रोजाना ताले का कारोबार होता है। रेल मंत्रालय अगर दक्षिण के लिए नई ट्रेनों का संचालन करे तो शहर को राजस्व का फायदा मिलेगा।
ईएमयू में बढ़ें कोच
यहां से दिल्ली व टूंडला तक चलने वाली ईएमयू पैसेंजर ट्रेनों में हर रोज औसतन दस हजार से अधिक दैनिक यात्री सफर करते हैं। मुसाफिरों की संख्या निरंतर बढ़ रही है, लेकिन ईएमयू पैसेंजर ट्रेनों में पांच साल पहले जितने कोच थे, उतने आज भी हैं। इन कोचों में शौचालय की सुविधा उपलब्ध नहीं हो सकी है।