DHANBAD: राजधानी जैसी कोच में बैठकर सफर का ख्वाब देख रहे यात्रियों की हसरत आज पूरी हो गई। झारखंड की सबसे महत्वपूर्ण ट्रेनों में शुमार धनबाद-अलेप्पी एक्सप्रेस आज से एलएचबी में बदल गई। एलएचबी रैक में बदलते ही न केवल ट्रेन का रंग बदल गया, बल्कि सीटें पहले से ज्यादा आरामदायक हो गई हैं। पहले दिन एलएचबी रैक के साथ खुली ट्रेन के लिए किसी समारोह का आयोजन नहीं हुआ, पर पूरी ट्रेन दुल्हन की तरह सजकर प्लेटफाॅर्म पर आई।


पारंपरिक नीले रंग की ट्रेन की तुलना में एलएचबी रैक में सीटें ज्यादा होती हैं। इस वजह से पहले से टिकट बुक करा चुके यात्रियों के सीट नंबर भी बदल गए थे। स्लीपर के एस-5 से एस-8 तक के कोच हट जाने से उनके यात्रियों को दूसरे कोच में एडजस्ट कराया गया।

वेल्लोर इलाज कराने वाले जानेवाले मरीजाें को कम लगेंगे झटके

पुराने आइसीएफ रैक के साथ चलने वाली ट्रेन में झटके ज्यादा लगते थे। धनबाद समेत झारखंड के कई शहरों से इलाज कराने वेल्लूर जानेवाले मरीजों की अक्सर ऐसी शिकायत रहती थी। अब एलएचबी रैक से चलने वाली ट्रेन में झटके कम लगेंगे। इससे मरीजों के साथ-साथ आम यात्रियों को भी पहले की तुलना में आरामदायक सफर का अवसर मिलेगा।

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यात्री बोले, हमें तो विश्वास ही नहीं हुआ कि यही अलेप्पी एक्सप्रेस है

पुराने नीले रंग की ट्रेन के सारे डिब्बे राजधानी सरीखे लाल रंग के दिख रहे थे। चमचमाती सजी-संवरी ट्रेन को देख कर पहले तो यात्रियों को विश्वास ही नहीं हुआ कि यही अलेप्पी एक्सप्रेस है। यात्री बोले भी कि ट्रेन बिल्कुल बदल गई है। लग ही नहीं रहा कि वही ट्रेन है। सफर करने वाले यात्रियों के साथ प्लेटफार्म पर खडे़ दूसरे यात्री भी अलेप्पी एक्सप्रेस के साथ सेल्फी लेते दिखे।

स्लीपर और जनरल कोच कम करने पर यात्रियों में दिखा गुस्सा तो एसी वालों के चेहरे पर मुस्कान

अलेप्पी एक्सप्रेस में अब सेकेंड और थर्ड एसी के कोच बढ़ गए हैं। थर्ड एसी के कोच पांच से बढ़कर छह और सेकेंड एसी के दो के बजाय अब चार कोच जुड़े हैं। स्लीपर और जनरल डब्बे कम हो गए हैं। स्लीपर की आठ के बदले अब पांच कोच और जनरल के चार के बजाय तीन कोच जुड़े हैं। इससे जनरल और स्लीपर के यात्रियों में मायूसी और नाराजगी दोनों है।

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स्लीपर के यात्री बोले, इस क्लास में सबसे ज्यादा वेटिंग रहता है। कोच कम करने का निर्णय सही नहीं है। दूसरी ओर, एसी के यात्रियों का कहना था कि अब थर्ड एसी में यात्रियों की संख्या बढ़ी है। कोच बढ़ना जरूरी था। हालांकि उनका कहना था कि सेकेंड एसी के बजाय थर्ड एसी के कोच और बढ़ने चाहिए थे।