मुंगेर. बिहार के मुंगेर जिला का तारापुर कई मायनों में खास है. यह शहीदों की धरती के नाम से भी जाना जाता है. यहां सरकार की तरफ से लोगों को कई सुविधाएं प्रदान के लिए बड़े-बड़े कार्यालय संचालित हैं. (ads1) जैसे कि यहां अनुमंडल कार्यालय, अनुमंडलीय अस्पताल, रजिस्ट्री कार्यालय, अंचल कार्यालय, प्रखंड कार्यालय, थाना सहित कई अन्य कार्यालय हैं, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस शहर में अभी तक रेलवे लाइन नहीं है, जिसके कारण लोगों को काफी दिक्कतें होती हैं.


21वीं सदी में नहीं है रेलवे लाइन

केंद्र सरकार और राज्य सरकार हमेशा डिजिटल इंडिया की बात करती है. मेट्रो और बुलेट ट्रेन परियोजना पर तेजी से काम चल रहा है, लेकिन इस डिजिटल युग में किसी शहर में रेल लाइन की सुविधा उपलब्ध नहीं होने की बात सुन हैरानी होती है. यह कड़वा सच बिहार के तारापुर की है, जहां रेलवे लाइन नहीं है.

तारापुर को अबतक नहीं मिला ‘रेलवे लाइन’

मुंगेर के तारापुर बाजार में रोजाना 100 से ज्यादा गांवों के लोग आते हैं, और अपना काम पूरा करने के बाद लौट जाते हैं. इस शहर-बाज़ार से दो लाख से ज्यादा लोग प्रभावित होते हैं. यह बाजार कई मायने में खास है. यहां आम लोगों की जरूरतों को पूरा करने वाली लगभग हर सुविधा उपलब्ध है, बस एक रेलवे लाइन को छोड़ कर. यहां के लोग बीते कई दशकों से ट्रेन आने की राह देख रहे हैं, लेकिन 21वीं सदी में भी रेलगाड़ी तारापुर नहीं पहुंच सकी है.

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स्थानीय और आसपास के लोगों की मांग हुई तेज

तारापुर और आसपास के लोगों ने सरकार से यहां रेल लाइन बिछाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि हमें ट्रेन पकड़ने के लिए कम से कम 20 से 25 किलोमीटर की दूरी तय कर सुल्तानगंज जाना पड़ता है. इसके लिए ऑटो और बस का काफी किराया भुगतान करना पड़ता है. यदि तारापुर में रेल लाइन हो जाएगी तो क्षेत्र के लोगों को काफी सुविधा मिलेगी. हम भागलपुर, पटना, दिल्ली, देवघर सहित देश के अलग-अलग हिस्सों में ट्रेन से आ-जा सकेंगे.