SAHARSA: 2006 में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद ने मध्यवर्ग और निम्न आय वर्ग के लोगों को ट्रेन में एसी की किफायती यात्रा कराने के लिए गरीब रथ ट्रेन की शुरुआत की थी। पहली ट्रेन पंजाब के अमृतसर से बिहार के सहरसा के बीच चली थी। सभी थ्री एसी बोगी वाली इस ट्रेन की बाकी सारी बातों को संतोषजनक माना गया, लेकिन इससे शुरू साइड मिडिल बर्थ के कॉन्सेप्ट की शुरू से घोर निंदा हुई।
साइड की लोअर बर्थ को थोड़ा नीचे और अपर बर्थ को थोड़ा ऊपर कर मिडिल बर्थ डाल दी गई थी। हर कंपार्टमेंट में इसी मिडिल बर्थ को बढ़ाकर इस ट्रेन को अन्य ट्रेनों की एसी बोगियों की कमाई के हिसाब से संतुलित बताया जाता रहा। इसी आधार पर कमाई बढ़ाने के लिए कई मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों में भी यह प्रयोग किया गया। ऐसी बर्थ को जोड़ने के बाद ट्रेन परिचालन को भले ही फायदेमंद और मध्य व निम्न आय वर्ग के लिए मुफीद बताया जाता रहा, लेकिन साइड मिडिल बर्थ के कारण साइड बर्थ पाने वाले तीनों यात्रियों में से किसी की यात्रा सहज-संतोषजनक नहीं रही।
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व्यापक विरोध के बाद मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों से इसे हटाया गया। RTI से हासिल जवाब के अनुसार, “18 फरवरी 2009 को रेलवे बोर्ड के पत्रांक 2007/M/C/137/9/Pt के तहत बाकी जिन ट्रेनों में साइड मिडिल बर्थ का प्रावधान किया गया था, उसे हटाया गया लेकिन गरीब रथ के लिए इसी जारी रखा गया है।” इसका विरोध लगातार जारी है। अब भी इन्हें हटाने की अनुशंसा अलग-अलग रेल जोनों से रेल मंत्रालय तक पहुंच रही हैं। नरेंद्र मोदी सरकार में थ्री एसी की बोगियों में बर्थ की संख्या बढ़ाते हुए थ्री एसी इकोनॉमी कोच लाए गए, लेकिन इसमें साइड मिडिल बर्थ का प्रावधान नहीं किया गया है।
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RAC को लेकर आदेश कुछ, प्रावधान कुछ और
RTI के जवाब में रेलवे बोर्ड की जो चिट्ठियां संलग्न की गई हैं, वह बताती हैं कि 14 नवंबर 2006 को जारी आदेश के अनुसार साइड मिडिल वाली गरीब रथ के कोच में 8 यात्रियों को RAC देने का प्रावधान था। कोच के दोनों सिरों के दो-दो कंपार्टमेंट में एक-एक लोअर बर्थ RAC यात्रियों के लिए होते थे। मतलब, चार लोअर बर्थ और 8 यात्री। फिर, पत्रांक 2006/TG-I/20/P/Garib Rath के तहत 10 जनवरी 2008 को कॉमर्शियल सर्कुलर नंबर 3 जारी किया गया, जिसमें हर बोगी में RAC यात्रियों की संख्या घटाकर 3 की गई और इनके लिए बर्थ नंबर 4 और 5 को अलॉट किया गया।
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RTI के अनुसार गरीब रथ में RAC के लिए यही प्रावधान लागू है, लेकिन हकीकत यह है कि ट्रेन में हर बोगी के 3 यात्रियों को बर्थ नंबर 10 अलॉट की जा रही है। रेल मंत्रालय से जुड़ी पैसेंजर एमिनिटीज कमिटी (PAC) के सदस्य सुनील राम कहते हैं- “गरीब रथ से साइड मिडिल बर्थ हटाने की मांग वर्षों से हो रही, लेकिन अब यह चौंकाने वाली बात है कि RAC में तीन यात्रियों को एक बर्थ दी जा रही है। एक तो यह बहुत गलत है और उसपर मिडिल बर्थ मिलना तो बिल्कुल अमानवीय।
निश्चित रूप से कमिटी साइड मिडिल बर्थ हटाने और RAC के इस सिस्टम को बदलने के लिए दबाव बनाएगी।” गरीब रथ की इन समस्याओं के बारे में जब भारतीय रेलवे के कार्यकारी निदेशक (सूचना एवं प्रचार) अमिताभ शर्मा से बात की गई तो उन्होंने संबंधित विभाग से जानकारी लेकर बताया- “गरीब रथ एक्सप्रेस ट्रेनों में दो प्रकार के डिब्बे जोड़े जा रहे हैं- एक में प्रति कंपार्टमेंट 8 बर्थ हैं, जिनमें साइड मिडिल बर्थ नहीं है और दूसरे में साइड मिडिल बर्थ समेत 9 बर्थ हैं। 9 बर्थ प्रति कंपार्टमेंट वाली कुछ गरीब रथ ट्रेनों में बर्थ नंबर 4 और 5, जबकि कुछ में 10 और 11 नंबर बर्थ पर RAC के तीन यात्रियों को समायोजित करने का प्रावधान है।”
टिकट पर 1 साइड लोअर और 1 साइड अपर बर्थ होता है,जब ट्रेन में सीट पर जाते है तो पता चलता है कि हमारा 1 साइड मिडिल बर्थ है,बस फिर पूरे सफर की ऐसी-तैसी हो जाती है,ये बहुत ही गलत है,सफर लम्बी होने के कारण बहुत परेशानी होती है,पता नहीं इससे कब छुटकारा मिलेगा।गरीब के साथ गरीब रथ में मजाक किया जाता है।
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