जामताड़ा : आसनसोल रेल मंडल के अधीन झाझा से आसनसोल स्टेशन के बीच रेलवे बी क्लास जमीन को चिह्नित कर घेराबंदी कर रहा है। झाझा से जसीडीह के बीच रेलवे की ओर से तीसरी रेल लाइन बिछाई जा रही है। रेलवे की इस कार्रवाई से इस रूट पर बने हजारों घर टूट जाएंगे। इसका विरोध तीव्र रूप ले रहा है, दूसरी ओर रेलवे ने साफ कर दिया है कि इस जमीन का अंग्रेजों के जमाने में ही अधिग्रहण हो गया था। (ads1) इसे राज्य सरकार को भी वापस नहीं किया तो कि आधार पर दावा किया जा रहा, समझ से परे हैं। रेलवे इसकी घेराबंदी करेगा, अतिक्रमण हटाएगा। कानून के तहत हम हर काम कर रहे।
दरअसल, रेलवे ने पिछले दिनों करमाटांड़ रेलवे स्टेशन से पिंडारी फाटक के बीच बी क्लास लैंड पर आने वाले दर्जनों घरों को तुड़वाया था। अब तेजी से यहां रेलवे की ओर से जमीन की घेराबंदी की जा रही है। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि रैयत जिन नियमों का हवाला देकर जमीन पर दावेदारी कर रहे वे बेबुनियाद हैं। इधर प्रभावित लोगों का कहना है कि जिस समय जिस जमीन पर रेलवे लाइन बिछाई गई थी, केवल वही जमीन अधिग्रहीत की गई थी, बी श्रेणी की जमीन तो सामान रखने को रेलवे ने ली थी, पटरी बिछने के बाद उसे वापस कर दिया गया था। रेलवे अब जो कर रहा है उससे हजारों घर उजड़ जाएंगे। यहां हजारों लोगों के मकान व दुकानें बनीं हैं, कई पीढ़ियों से हम यहां रह रहे। किसी भी हालत में रेलवे को मनमानी नहीं करने देंगे। इस बी क्लास जमीन पर दावा कर रहे रैयत इसे जबरिया अधिग्रहण बता रहे हैं।
मालूम हो कि जामताड़ा के रामकृष्ण मिशन मठ के समीप जामताड़ा-करमाटांड़ मुख्य सड़क की जमीन को भी रेलवे ने अपनी बताया है। सड़क के उत्तरी छोर पर जमीन की मापी के बाद सीमांकन के लिए सीमेंट का पोल भी गाड़ दिया है। इससे सड़क के भविष्य पर भी खतरा है। इधर प्रभावित लोगों ने रेलवे को आवेदन भी दिया है।
इस संबंध में आसनसोल रेल डिविजन के डीआरएम परमानंद शर्मा ने कहा कि रेलवे ने जमीन का ब्र्रिटिश काल में अधिग्रहण किया था। राज्य सरकार को यह जमीन उसके बाद लौटाई नहीं, इसलिए न तो इसपर राज्य सरकार का अधिकार है, न ही रैयतों का। रैयतों का दावा बेबुनियाद है, वे तो अतिक्रमणकारी हैं। झाझा से जसीडीह के बीच तीसरी लाइन बिछाने का काम चल रहा है। जनसुविधाओं के लिए यह काम हो रहा। विस्तार किया जा रहा है। ऐसे में अतिक्रमण हटाने व रेलवे की जमीन की घेराबंदी जारी रहेगी। सबकुछ कानूनी प्रक्रिया के तहत कर रहे हैं।
वहीं करमाटांड़ के अंचलाधिकारी गुलजार अंजुम ने बताया कि रेलवे बी क्लास की जमीन कैसर-ए-हिंद की जमीन के नाम से जानी जाता है। इस पर रेलवे का ही हक है। रेलवे की जमीन पर राज्य सरकार का हक नहीं है, सीधे तौर पर यह जमीन केंद्र सरकार के अधीन है। कुछ लोग इसे रैयत के नाम पर चढ़ा लेते हैं, मगर वह हकीकत में रेलवे की जमीन है। इस पर हम अपना हक नहीं जता सकते।