NATION: रेलवे में अक्तूबर से लागू होने वाले टाइम टेबल में अबकी ट्रेनों के समय में बदलाव की संभावना है। उम्मीद है कि कम आय वाले स्टेशनों पर स्टॉपेज कम हो सकते है। मकसद ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाना है। रेलमार्गों पर डबलिंग और विद्युतीकरण से भी ट्रेनों की रफ्तार बढ़ेगी। यात्रियों का कहना है कि बढ़िया ट्रैक के बावजूद ट्रेनों के बीच रनिंग टाइम कहीं ज्यादा है। 


कोरोना काल के दो साल बाद रेलवे का नया टाइम टेबल 2021 में आया था पर स्पेशल ट्रेनों के चलते यह वर्किंग टाइम टेबल था। एक साल के भीतर रेलवे में ट्रैक व अन्य सिग्नलिंग व इलेक्ट्रीफिकेशन आदि के भरपूर काम मंडलों में हुए हैं। मुरादाबाद मंडल भी इलेक्ट्रीफाइड हुआ है।

(ads1)

रोजा से सीतापुर और लक्सर हरिद्वार के बीच-बीच डबलिंग हुई है। ऐसे में आने वाले नए टाइम टेबल में बदलाव की तमाम संभावनाएं हैं। नया टाइम टेबल एक अक्तूबर से लागू होगा, इसके लिए अभी से तैयारी शुरू हो गई है। जानकारों की माने तो रेलवे का मकसद ट्रेनों की स्पीड बढ़ाना है।

रेल प्रशासन ने कोरोना काल से पहले चल रही पुरानी एक्सप्रेस को नया रूप देते हुए जनशताब्दी एक्सप्रेस का दर्जा दिया है। इससे रेल किराये में बदलाव हुआ है। तमाम छोटे स्टेशनों पर रूक रही ट्रेनो से रनिंग टाइम बढ़ा हुआ है। माना जा रहा है कि स्टेशनों पर जहां कम आय हो रही है, वहां के स्टॉपेज खत्म किए जा सकते हैं, इसमें पूर्णागिरी एक्सप्रेस का भी नाम है।

(ads2)

टनकपुर से दिल्ली के बीच चलने वाली यह ट्रेन 395 किमी की दूरी दस घंटे में पूरी करती है। संभावना है कि ऐसी अन्य ट्रेनों की स्टेशनों पर अर्निग देख ही अन्य फैसले लिए जा सकते हैं। मुरादाबाद में गाजियाबाद रूट पर 110 किमी का है, जबकि बाकी सेक्शन में सौ की स्पीड है। हरिद्वार-देहरादून में पचास व बालामऊ-उन्नाव रुट पर 75 किमी की रफ्तार है।