कोलकाता : 'जाको राखे साइयां मार सके ना कोए।' यह दोहा एक बार फिर सच साबित हुआ है। एक नवजात भूखे प्यासे पांच दिनों तक गंगा में एक प्लास्टिक टब में बहती रही। जब स्थानीय लोगों की उस पर नजर पड़ी, तो उन्होंने उसे बचा लिया। घटना मालदा के मानिकचक थाना क्षेत्र के नया बिलाईमारी इलाके की है। (ads1)
पांच से छह दिन की है बच्ची
नया बिलाईमारी क्षेत्र के एक प्रत्यक्षदर्शी अकमल शेख ने कहा कि शुक्रवार की सुबह हम में से कुछ लोग गंगा के तट पर बैठे थे। अचानक मैंने देखा कि गंगा में कोई बड़ा खिलौना बह रहा है। वहीं से बच्चे के रोने की आवाज आ रही थी। इसके बाद हम लोगों को संदेह हुआ। हम लोग नाव लेकर उधर भागे। वहां हम लोगों ने देखा कि एक नवजात बच्ची प्लास्टिक के टब में बह रही है तथा जोर जोर से रो रही है। इसके बाद हम लोगों ने उसे उद्धार किया। घटना की सूचना मानिकचक थाने की पुलिस को दी गई । पुलिस ने हालत खराब होने के कारण तुरंत बच्ची को मालदा मेडिकल कालेज अस्पताल में भर्ती कराया। डाक्टरों ने कहा कि बच्ची पांच से छह दिन की है। उसका इलाज चल रहा है। पुलिस ने घटना की जांच शुरू कर दी है।
बच्ची के बिहार या हरिश्चंद्रपुर से बहकर आने का अनुमान
शुरुआत में पुलिस ने अनुमान लगाया है कि किसी ने जन्म देने के साथ ही बच्ची को नदी में बहा दिया है। बच्ची चार से पांच दिनों तक गंगा नदी में बह रही होगी। जांच कर रहे पुलिस अधिकारियों का मानना है कि बच्ची बिहार या हरिश्चंद्रपुर, रतुआ इलाके से बहकर आई होगी। इस घटना ने एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया कि क्या यह बेटी होने का नतीजा है? क्या इसीलिए परिवार वालों ने उसे गंगा के बीच में फेंक दिया? (ads2)
एक और देवी का आगमन हुआ
स्थानीय लोगों का मानना है कि मां गंगा की कृपा के बिना नवजात शिशु का जीवन संभव नहीं होता। लोगों का कहना है कि उमा अभी-अभी कैलाश पार गई हैं और उसी समय वास्तव में एक और देवी का आगमन हुआ।