ट्रेनों में सामान्य व स्लीपर कोच घटने से बड़ी संख्या में आम यात्रियों को बोगियों के फर्श पर यात्रा करनी पड़ रही है। स्लीपर व सामान्य कोच की जगह पर ट्रेनों में एसी कोच लगाए जा रहे हैं। तीन गुना अधिक किराया होने के कारण आम यात्री एसी कोच में सफर करने में समक्ष नहीं हैं। वे स्लीपर में वेटिंग टिकट के अलावा सामान्य कोच में अमानवीय तरीके से यात्रा करने के लिए विवश हैं।

ट्रेनों की जनरल व स्लीपर बोगियों में सफर करने को मजबूर हैं यात्री।

छठ के बाद परदेस लौटने की मारामारी के कारण प्रमुख ट्रेनों में करीब पांच सौ यात्री वेटिंग टिकट पर फर्श पर यात्रा कर रहे हैं। बोगियों के फर्श पर जगह कम रहने पर यात्री शौचालय में भी बैठकर यात्रा करते हैं। पूर्व में सुपरफास्ट एक्सप्रेस में 12 स्लीपर कोच व छह सामान्य कोच होते थे। अब सुपरफास्ट ट्रेनों में महज चार सामान्य कोच होते हैं। दरभंगा से नई दिल्ली जाने वाली बिहार संपर्क क्रांति व सहरसा से नई दिल्ली जाने वाली वैशाली में एसी कोच की संख्या नौ तक पहुंच गई है। वहीं, स्लीपर कोच छह व सामान्य कोच चार तक सिमट गए हैं। जुलाई माह में हटिया व गोरखपुर के बीच चलने वाली मौर्य एक्सप्रेस में स्लीपर के दो कोच हटाकर दो एसी कोच जोड़ दिया गया।

दरभंगा से नई दिल्ली जाने वाली बिहार संपर्क क्रांति में एसी कोच की संख्या नौ तक पहुंच गई

आम यात्रियों के साथ हकमारी सरैयागंज निवासी छात्र सूरज कुमार ने बताया कि आम यात्रियों के साथ हकमारी हो रही है। वह वैशाली एक्सप्रेस से प्राय दिल्ली जाते हैं। पूर्व में इस ट्रेन में स्लीपर के अधिक कोच थे। अब महज छह स्लीपर कोच हैं।

स्लीपर की जगह पर एसी कोच

स्लीपर की जगह पर एसी कोच जोड़ दिया गया है। एसी के टिकट पर यात्रा करने के लिए समक्ष नहीं हैं। इस कारण स्लीपर कोच में वेटिंग टिकट पर यात्रा करनी पड़ रही है। रेलवे आम यात्रियों की चिंताओं को दरकिनार कर अपनी आय बढ़ाने के लिए ट्रेनों में एसी कोच बढ़ा रहा है।