FORBESGANJ: क्या वर्ष 2022 में फारबिसगंज-सहरसा रेलखंड पर रेल गाड़ियां दौड़ेंगी? क्षेत्रवासियों में इस बात को लेकर उत्सुकता बढ़ी हुई है। आए दिन हर अगले महीने किसी न किसी अधिकारियों द्वारा इस रेलखंड पर ट्रेन चलने का भरोसा दिया जाता है मगर इस बात को लेकर लोगों की आंखे पथरा गयी है।


बाजपेयी सहित तीन राजनेताओं के संस्मरण से जुड़े हैं यह रेलखंड अमान परिवर्तन

वैसे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई सहित तीन राजनेताओं के संस्मरण से जुड़ा हुआ है फारबिसगंज- सहरसा रेलखंड आमान परिवर्तन कार्य। खास बात यह कि इस रेलखंड में आंतरिक सुरक्षा से लेकर सामाजिक सरोकार तक समाहित है। जानकार बताते हैं कि 1997 में तत्कालीन रेल मंत्री स्व रामविलास पासवान ने इस रेलखंड को आमान परिवर्तन के लिए पूरक रेल बजट में शामिल किया था तो सामरिक महत्व व आंतरिक सुरक्षा के लिहाज से तत्कालीन प्रतिरक्षा मंत्री स्वर्गीय जॉर्ज फर्नांडिस द्वारा रक्षा बजट से आर्थिक सहायता दी गई थी। वहीं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने सामाजिक सरोकार के तहत मिथिलांचल से सीमांचल का संबंध को लेकर कोशी में रेल पुल का आधारशिला रखा था। आज तीनों राजनेता इस दुनिया में नहीं है मगर तीनों राजनेताओं के संस्मरण से जुड़ा हुआ है यह रेल खंड।


खासकर उत्तरी बिहार में रेलवे की स्थापना व विकास के जनक के रूप में कोसी पुत्र के नाम से चर्चित पूर्व रेल मंत्री स्वर्गीय ललित नारायण मिश्र का नाम विख्यात है। क्योंकि 1934 तक दरभंगा से प्रतापगंज तक सीधी रेल सेवा जारी थी।

फारबिसगंज 01- फारबिसगंज में जारी फारबिसगंज-सहरसा बडी रेल लाइन का कार्य।

1934 के भूकंप में रेलखंड का अस्तित्व ही समाप्त हो गया था। ऐसे में ठीक 40 वर्षों बाद 1975 में ललित बाबू से सौजन्य से सहरसा-फारबिसगंज रेलखंड पर ट्रेनों का परिचालन शुरू किया गया था। रेलवे के जानकार बताते हैं कि जिस हिसाब से जोगबनी कटिहार रेल खंड आमान परिवर्तन को प्राथमिकता दी गई और 105 किलोमीटर रेल लाइनों महज 06 वर्षों में अपना मूर्त रूप ले लिया वहीं आंतरिक सुरक्षा व सामाजिक महत्त्व वाले फारबिसगंज -सहरसा रेलखंड आमान परिवर्तन को गंभीरता से नहीं लिया गया। रेलवे के जानकार बताते हैं कि शुरुआती दौर में महज 111 किलोमीटर रेलखंड आमान परिवर्तन की योजना थी जिसे बाद में बढ़ाकर 205 सराय गढ़ से निर्मली और सकरी तक बढ़ा दिया गया और इस खंड को प्राथमिकता देते हुए पूरे परियोजना को कई चरणों में बांट दिया गया जिसके कारण आज तक फारबिसगंज- सहरसा खंड पर बड़ी रेल रेल लाइन की ट्रेनें नहीं दौड़ पाई है।


यह रेलखंड वैसे तो ईसी रेलवे में आता है मगर फारबिसगंज स्टेशन सहित कुछ एरिया का कार्य एनएफ रेलवे द्वारा होने के कारण कटिहार मंडल के डीआरएम द्वारा कभी 15 अगस्त पर तो कभी दीवाली के मौके पर ट्रेन परिचालन का गिफ्ट देने की बात कही गयी मगर अब तक ऐसा नहीं हुआ।


● आंतरिक सुरक्षा से लेकर सामाजिक सरोकार तक समाहित है इस रेलखंड में

● अंतिम प्राथमिकता में रखा गया फारबिसगंज- सहरसा को