23 दिसंबर से पहले दरभंगा से फारबिसगंज पहुंचेगी ट्रेन, काम पूरा

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फारबिसगंज। आगामी 23 दिसंबर को एनएफ रेलवे मालीगांव के जीएम अंशुल गुप्ता के आगमन तक बायपास पूरा कराने का टास्क दिया गया है। बता दें फारबिसगंज सुभाष चौक के बगल स्थित सीता धार पर निर्माणाधीन पुल पूरा नहीं होने के कारण बायपास के माध्यम से ट्रेन आवागमन की योजना के आलोक में काफी समय के बाद भी बायपास का काम पूरा नहीं हो पाया है । अधिकारियों की मानें तो अब नए वर्ष 2023 के जनवरी से ट्रेन परिचालन की पूर्ण संभावना है। जानकार बताते हैं कि बायपास के पेंच में फंस गया है एनएफ और इसी रेलवे का मामला । इसको लेकर इतने देर होने के बावजूद भी ट्रेन परिचालन शुरू नहीं हो पाई है और परिचालन बाधित है । क्योंकि बायपास पूरा होने के बाद ही ट्रेन परिचालन संभव है ।


बायपास पूरा होने के बाद इस खंड का निरीक्षण होगा

रेलवे अधिकारियों की मानें तो बायपास पूरा होने के बाद इस खंड का निरीक्षण होगा। इसके बाद पटरी पर स्पीड ट्रायल चलाया जाएगा । इसके बाद सीआरएस विजिट होगा। कमिश्नर ऑ़फ रेलवे सेफ्टी द्वारा एनओसी देने के बाद ही इस खंड पर ट्रेन आवागमन की गुंजाइश संभव हो पाएगा । इसलिए आगामी जीएम के कार्यक्रम तक रेलवे के अधिकारियों द्वारा कार्य को पूरा करने की दिशा में पूरी ताकत झोंक दी गई है । बताया जाता है कि सहरसा से ललित ग्राम तक कई महीनों से ट्रेन परिचालन जारी है। जबकि ललित ग्राम से नरपतगंज तक रेलवे लाइन बनकर तैयार है । इस खंड पर भी कई बार ट्रायल हो चुका है। नरपतगंज फारबिसगंज के बीच पहले तो पत्थर की कमी के कारण काम बाधित था मगर अब पत्थर की आपूर्ति होने के बाद फारबिसगंज नरपतगंज के बीच 15 किलोमीटर का रेलखंड सुभाष चौक के बगल में सीता धार पर बनने वाले निर्माणाधीन पूल के कारण अटका पड़ा है । अधिकारियों की मानें तो फारबिसगंज से नरपतगंज के बीच 9 रेलवे क्रॉसिंग है और सभी बनकर तैयार हो चुका है ।

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बायपास का क्लीयरेंस एनएफ रेलवे के द्वारा होना है


इस संबंध में रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि ईसीआर का सारा काम लगभग पूरा है मगर बायपास का क्लीयरेंस एनएफ रेलवे के द्वारा होना है। उसी में लेटलतीफी के कारण फिलहाल ट्रेन चला पाना संभव नहीं हो पा रहा है। अधिकारियों ने कहा कि बाईपास कब तक फाइनल होगा इसके बारे में सटीक जानकारी नहीं दे सकते हैं मगर आगामी 23 दिसंबर तक जीएम के कार्यक्रम के दौरान तक यह बायपास कार्य पूरा होने की संभावना कम ही लगती है। लेकिन उन्होंने इतना जरूर कहा कि आगामी जनवरी 2023 से फारबिसगंज सहरसा रेलखंड पर ट्रेनों का परिचालन किसी भी सूरत में हो जाएगा। इधर रेलवे मालीगांव के जीएम के आगमन को लेकर फारबिसगंज सहित कई रेलवे स्टेशनों की सूरत बदलने लगी है। पूरे प्लेटफार्म को आधुनिकतम बनाया जा रहा है। सर्कुलेटिंग एरिया को दुरुस्त किया जा रहा है और गेट के साथ-साथ प्रकाश की उत्तम व्यवस्था की जा रही है। मेगा ब्लॉक को भी 11 साल पूरे होने हैं लेकिन अभी तक फारबिसगंज नरपतगंज के बीच ट्रेन आवागमन की सुविधा मयस्सर नहीं हो पाई है। रेलवे के जानकार तो यहां तक बताते हैं कि भारतीय रेलवे इतिहास का यह पहला मौका है जब महज 15 किमी रेल खंड आमान परिवर्तन के लिए इतने लंबे समय का मेगा ब्लॉक लिया गया हो।

पिछले 25 वर्षों से लोगों की आंखें तरस गई

जानकार बताते हैं कि फारबिसगंज सहरसा रेलखंड आमान परिवर्तन कार्य को लेकर पिछले 25 वर्षों से लोगों की आंखें तरस गई है। यह इसलिए क्योंकि इस रेलखंड को पूरक रेल बजट में तत्कालीन रेल मंत्री स्वर्गीय रामविलास पासवान के द्वारा विगत 1997 में लिया गया था। उसके बाद कुसहा त्रासदी के बाद फारबिसगंज नरपतगंज के बीच ट्रेन आवागमन बाधित होने के बाद 20 जनवरी 1912 को आमान परिवर्तन के लिए मेगा ब्लॉक लिया गया था ।

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