दोस्ती || dosti

Vikram Choudhary
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   दोस्ती


दोस्ती शब्द नहीं जज्बात हैं, 

यह भूली बिसरी याद है।

 हर रिश्ते को इसने समेटा हैं, 

यह रिश्तों से भरी सौगात हैं। 

कभी भाई बनकर संभाला है,

 कभी माँ बनकर पुचकारा हैं।

 कभी पिता के जैसे डॉट लगाई,

 कभी बहन की तरह गुदगुदाया ।

दोस्ती शब्द......…................

यह शिक्षक भी है सारथी भी,

 यह द्रोणा भी हैं कृष्णा भी । 

यही है माली बगिया का,

 यह बगिया में महकता फूल भी । 

यह रिश्तों की मिठास हैं, 

यह अपनत्व का एहसास हैं।

 दोस्ती शब्द..........................

बचपन के यह साथी भी, 

यही हमारे घाती भी। 

हर बात बात पर लड़ना इनसे, 

पर अलग नहीं हैं रहना इनसे ।

यही हमारे हम जोली हैं,

 इनसे ही बनती अपनी टोली हैं।

 दोस्ती शब्द......................

दोस्ती की इस दुनिया में, 

सभी एक दूजे के खास है।

 हर अनजाने को अनजाने से, 

मिलता अपनत्व का एहसास है। 

इसीलिए तो कहते हैं, 

दोस्ती ईश्वर की सौगात हैं। 

दोस्ती शब्द......................



                     ✍️विक्रम चौधरी

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