SAKRI. सहरसा बाइपास लाइन और दरभंगा-सकरी रेल दोहरीकरण कार्य के लिए एक साथ टेंडर जारी कर दिया गया है.


टेंडर की अंतिम तिथि मार्च निर्धारित है पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी द्वारा निविदाएं आमंत्रित की गयी हैं. सहरसा बाइपास लाइन और दरभंगा-सकरी रेल दोहरीकरण कार्य के फाइनल लोकेशन सर्वे पर 72 लाख 15 हजार 418 रुपये 34 पैसे की लागत आएगी। सहरसा बाइपास लाइन 17 किमी लंबी होगी. रेलवे बोर्ड ने लाइन निर्माण के अंतिम स्थान सर्वेक्षण के लिए 34 लाख रुपये मंजूर किए थे। 21 किमी दरभंगा-सकरी रेल दोहरीकरण कार्य के फाइनल लोकेशन सर्वे के लिए 42 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की गयी. रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, सहरसा बाइपास लाइन बिना सहरसा को छुए गुजर जाएगी. बाइपास लाइन सोनवर्षा कचहरी से मधेपुरा, पूर्णिया और कटिहार मार्ग तक जायेगी. इसे कारू खिरहरी हॉल्ट या बैजनाथपुर से जोड़ने की योजना है. हालांकि सोनवर्षा कचहरी से कारू खिरहरी हॉल्ट या बैजनाथपुर स्टेशन तक का रूट सर्वे में ही पता चलेगा.

  • 17 किलोमीटर लंबी सहरसा बाइपास लाइन का निर्माण होगा
  • सहरसा बाइपास और दरभंगा-सकरी दोहरीकरण सर्वे पर 72 लाख रुपये से अधिक की होगी लागत, सर्वे के लिए सीएओ कंस्ट्रक्शन ने जारी किया टेंडर

रेलवे एलाइनमेंट समेत अन्य तकनीकी मुद्दों पर रहेगी नजर: फाइनल लोकेशन सर्वे के दौरान सबसे पहले रेलवे लाइन के एलाइनमेंट को देखा जाएगा। कहां-कहां अंडरपास, गेट, सिग्नल आदि बनाने हैं, इस पर गौर किया जाएगा। जमीन अधिग्रहण की जरूरत पड़ेगी या नहीं, इसका भी आकलन किया जायेगा. मिट्टी की जांच करायी जायेगी. रेलवे विद्युतीकरण कार्य की भी रिपोर्ट तैयार की जायेगी. तकनीकी, आर्थिक एवं व्यवहार्यता सभी स्तरों पर परीक्षण कर विस्तृत कार्ययोजना तैयार की जायेगी।

कंसल्टेंट सर्वे करते हुए डीपीआर तैयार करेंगे


फाइनल लोकेशन सर्वे करने वाली कंसलटेंट एजेंसी सहरसा बाइपास लाइन और दरभंगा-सकरी डबल लाइन के लिए डीपीआर तैयार करेगी. बाइपास लाइन के निर्माण की अनुमानित लागत को डीपीआर में शामिल कर मंजूरी के लिए रेलवे बोर्ड को भेजा जाएगा। फिर भी अगर डीपीआर में कोई सुधार महसूस होगा तो रेलवे विभाग के स्तर से किया जायेगा. बिना इंजन रिवर्सल के मधेपुरा, पूर्णिया और कटिहार जा सकेंगी ट्रेनें: बाइपास बन जाने के बाद ट्रेनें बिना इंजन रिवर्सल के मधेपुरा, पूर्णिया और कटिहार रूट पर जा सकेंगी। प्लेटफार्म और लाइन खाली मिलेंगे। गौरतलब है कि मधेपुरा, पूर्णिया और कटिहार जाने वाली ट्रेनों को सहरसा में इंजन पलटने के बाद आगे चलाया जाता है. जो समय की बर्बादी है.