झंझारपुर : अनुमंडल क्षेत्र के लोगों के स्वास्थ्य की बेहतर इलाज के लिए प्रसिद्ध हो चुके अनुमंडलीय अस्पताल झंझारपुर में स्वास्थ्य विभाग की मनमानी से लोगों की परेशानी बढ़ने लगी है। इस अस्पताल में राज्य स्वास्थ्य समिति एवं बिहार सरकार के पहल पर कई अत्याधुनिक जांच मशीनों को उपलब्ध कराया गया। किंतु स्पेशलिस्ट की व्यवस्था नहीं किए जाने के कारण यह मशीन अस्पताल के लिए मात्र शोभा का वस्तु बनकर रह गया है।



ऐसे ही एक अत्याधुनिक अल्ट्रासाउंड मशीन को 18 जून 2019 को इस अनुमंडल अस्पताल में स्थापित किया गया था। अल्ट्रासाउंड मशीन के स्थापना के बाद झंझारपुर एवं फुलपरास अनुमंडल क्षेत्र के विभिन्न गांव से आने वाले मरीजों, खासकर प्रसूति महिला मरीजों एवं उनके स्वजनों को काफी खुशी हुआ था कि अब उन्हें अल्ट्रासाउंड जांच के लिए ना तो अपनी जेब को हल्का करना पड़ेगा और ना ही इस जांच के लिए उन्हें अस्पताल से बाहर जाना पड़ेगा । अल्ट्रासाउंड मशीन की स्थापना के बाद अनुमंडलीय अस्पताल प्रशासन के द्वारा किसी प्रकार से इस जांच मशीन को मरीजों की सेवा में लगाया गया । तत्कालीन महिला चिकित्सक डॉ. सृष्टि राय एवं तत्कालीन डीएस डा. पीके मिश्रा के द्वारा इस मशीन को ऑपरेट कर मरीजों को सेवा दी जा रही थी। 



किंतु कोरोना काल में डीएस डा. मिश्रा का कोविड से आकस्मिक निधन हो जाने एवं डा. सृष्टि राय का हस्तांतरण हो जाने के बाद से यह मशीन बंद पड़ा हुआ था । अनुमंडलीय अस्पताल के डीएस डॉक्टर दयाशंकर सिंह ने पूछने पर बताया कि लगभग छह माह पूर्व इस मशीन को यहां से ले जाकर सदर अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि वह अपने स्तर से अल्ट्रासाउंड मशीन के साथ ही जिला से स्पेशलिस्ट को इस अस्पताल में लाने का प्रयास करेंगे। बता देती इस अस्पताल में आने वाले पांच से 10 मरीजों को प्रत्येक दिन अल्ट्रासाउंड जांच के लिए निजी जांच घरों में जाना पड़ता है।


केंद्रीय ओपीडी में पैथोलाजी जांच के लिए भटक रहे मरीज


DARBHANGA: डीएमसीएच के केंद्रीय ओपीडी में करीब आठ वर्षो से पैथोलाजिकल जांच की व्यवस्था नहीं है। ओपीडी के मरीजों को जब चिकित्सक पैथोलाजिकल जांच की सलाह देते हैं तो ऐसे मरीज केंद्रीय ओपीडी से लेकर केंद्रीय इमरजेंसी वार्ड तक भटकते रहते हैं। स्थिति यह रहती है कि टीसी-डीसी जांच कराने के लिए भी मरीजों को पैथोलाजिकल जांच घर में लंबी लाइन लगानी पड़ती है। बता दें कि कई वर्षों पहले केंद्रीय ओपीडी के पहले तल पर क्लीनिकल पैथोलाजी विभाग के जांच घर होते थे । जबकि, केंद्रीय इमरजेंसी वार्ड में भी यहीं व्यवस्था दिन-रात रहा करती थी। इससे मरीजों को आन द स्पाट जांच हो जाती थी। अब यह सुविधा इन दोनों स्थलों पर अब उपलब्ध नहीं है।