झंझारपुर-लौकहा रेलखंड पर बड़ी रेललाइन का निर्माण 14 मार्च 2024 में फाइनल कर दिया गया है। इस खंड का तीन चरण में सीआरएस निरीक्षण किया गया है। प्रथम चरण में झंझारपुर जंक्शन से महरैल रेलवे स्टेशन तक, दूसरे चरण में महरैल स्टेशन से अंधराठाढ़ी (वाचस्पतिनगर) रेलवे स्टेश नतक और तृतीय चरण में खुटौना से लौकहा तक सीआरएस के द्वारा निरीक्षण किया गया है। करीब दो महीने पहले इस रेलखंड पर लौकहा तक सीआरएस कर लेने के बाद भी अभी तक इस रेलखंड पर ट्रेन का परिचालन शुरू नहीं हो पाया है। 


ज्ञात हो कि झंझारपुर से लौकहा तक दो जोड़ी पैसेंजर ट्रेन को स्वीकृति रेलवे बोर्ड से 07 मार्च 2023 को ही मिल चुकी है। झंझारपुर से लौकहा की दूरी 43 किलोमीटर है जिसमें 64 छोटे पुल और 7 बड़े पुल पुल का निर्माण किया गया है। इसके अलावे 5 स्टेशन और 3 हॉल्ट का भी निर्माण हो चुका है। झंझारपुर-लौकहा रेलखंड पर झंझारपुर बाजार हॉल्ट, महरैल, चंदेश्वर हॉल्ट, वाचस्पति नगर, बरहारा, खुटौना, लौकहा आदि आठ स्टेशन और हॉल्ट हैं। 

रेलखंड को बड़ी रेललाइन में बदलने की घोषणा 17 वर्ष पूर्व ही हो गई थी जिसको लेकर दो-दो बार शिलान्यास भी किया जा चुका है। अमान परिवर्तन को लेकर मध्य पूर्व रेलवे ने 26 मई 2017 को ही मेगा ब्लॉक लिया हुआ है। वहीं, लोगों को भी इस रेलखंड पर बेसब्री से ट्रेन के परिचालन का इंतजार है जबकि अब देखना है कि लोगों की यह इच्छा कब पूरी होती है।

ट्रेन परिचालन से महरैल, चंदेश्वर स्थान हॉल्ट, वाचस्पति नगर, बरहारा, खुटौना व लौकहा के लोग लाभान्वित होंगे

झंझारपुर-निर्मली-लौकहा अमान परिवर्तन कार्य के लिए 622 करोड़ आवंटित है। इधर, इस रेलखंड पर सीआरएस होने के बाद ट्रेन का परिचालन नहीं होने से यात्रियों को सात वर्षों से परेशानी उठानी पड़ रही है। लोगों को अधिक भाड़ा देकर बस या टेंपो से ही सफर करना पड़ता है। जबकि रेल विभाग के अधिकारियों की ओर से बहुत पहले झंझारपुर लौकहा तक रेल परिचालन शुरू कर देने की बात कही गई थी। 

लेकिन काम में लेटलतीफी के कारण लोगों को बहुत ज्यादा परेशानी उठानी पड़ रही है। लोगों को विश्वास है कि जिस तरह एनएच-57 बनने के बाद इस क्षेत्र के लोगों का व्यवसाय विभिन्न कारणों से बढ़ा है, वैसे ही ट्रेन सेवा शुरू होने के बाद लोगों की जीविका के कई उपाय सामने आएंगे और रोजगार भी बढ़ेगा। खासकर महरैल, चदिश्वर स्थान हॉल्ट, वाचस्पति नगर, बरहारा, खुटौना और लौकहा आदि के लोगों को बहुत ज्यादा परेशानी हो रही है। बताते चलें कि इस रेलखंड से एमपी, पूर्व एमपी सहित कई विधायक, मंत्री और राजनेता जुड़े हैं।

रेलखंड के चालू नहीं होने से 5000 से अधिक गांव के लोग प्रभावित हो रहे

झंझारपुर-लौकहा रेलखंड के चालू, नहीं होने से करीब 5000 से अधिक गांव के लोग प्रभावित हो रहे हैं। इस रेलखंड के चालू हो जाने से जहां आर्थिक रूप से लोगों को सहूलियत होती। वहीं, कम समय में लोग अपने गंतव्य तक पहुंच जाते। इस रेलखंड के चालू नहीं होने से भारत के पड़ोसी देश नेपाल जाने में लोगों को परेशानी हो रही है। 

मिथिलांचल के अधिकांश लोग आंख बनाने के लिए आंख अस्पताल लहान जाते हैं। यहां जाने के लिए लोगों को बस की सवारी कर घंटों समय व्यतीत कर झंझारपुर से फुलपरास होते हुए लौकहा से नेपाल के लिए बस पकड़ना पड़ती है। झंझारपुर से लौकहा जाने में जहां रेल मार्ग से 25 से 30 रुपए लोगों को खर्च करना पड़ता है तो वहीं, फिलहाल लौकहा तक जाने के लिए कई जगहों पर फेरबदल से 3 से 4 सौ रुपए एक व्यक्ति पर खर्च हो रहे हैं। 

लोगों ने बताया कि झंझारपुर से अररिया संग्राम बस से, वहां से फिर ऑटो पकड़ के अंधराठाढ़ी से बाबूबरही, खुटौना होते हुए लौकहा जाते हैं। इससे समय के साथ-साथ आर्थिक हानि हो रही है। अगर इस रेलखंड पर रेल परिचालन शुरू होता है तो व्यावसायिक रूप से भी बंद पड़े बाजार में भी रौनक आ जाएगी। झंझारपुर बाजार समिति में पूर्वांचल का सबसे बड़ा बाजार लगता था।