Garib Rath Express: कल से जयनगर से आनन्द बिहार के बीच चलने वाली गरीब रथ एक्सप्रेस में नए कोच लगने वाले हैं। कुल चार गरीब रथ एक्सप्रेस की कोच संरचना रेलवे के द्वारा बदली गई है। ये गरीब रथ भागलपुर, गया, जयनगर और मुजफ्फरपुर से आनंद विहार के बीच चलते हैं। इसके साथ ही इन ट्रेनों में 352 बर्थ एक्स्ट्रा जुड़ जाएंगे।

कम किराये में दोगुना मजा


कम किराये में एसी ट्रेन में सफर करने का मजा अब दोगुना हो जाएगा। जी हां, भारतीय रेल ने कुछ गरीब रथ एक्सप्रेस के रोलिंग स्टॉक यानी कोच में महत्वपूर्ण परिवर्तन करने का फैसला किया है। अब इन गरीब रथ एक्सप्रेस ट्रेनों में परंपरागत आईसीएफ कोच के बजाय जर्मन तकनीक से बने एलएचबी कोच लगाए जा रहे हैं।

आनंद विहार - जयनगर गरीब रथ एक्सप्रेस

दिल्ली के आनंद विहार टर्मिनल से कानपुर, इलाहाबाद, मुगलसराय या पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन, पटना, मोकामा, बरौनी होते हुए जयनगर तक जाने वाली 12436 और जयनगर से आनंद विहार आने वाली 12435 गरीब रथ एक्सप्रेस ट्रेन में भी एलचबी कोच वाले रैक लगाए जा रहे हैं। इस ट्रेन में एलएचबी रैक की सेवा आनंद विहार से 13 अप्रैल से जबकि जयनगर से 15 अप्रैल से शुरू हो जाएगी।


इन ट्रेन में बढ़ जाएंगे बर्थ

आनंद विहार से बिहार के चार महत्वपूर्ण शहरों को जोड़ने वाली इन गरीब रथ एक्सप्रेस में नए कोच लगने के साथ ही बर्थ की संख्या भी बढ़ जाएंगी। बिहार जाने वाली ट्रेनों में अभी तक एसी स्लीपर के 16 डिब्बे लगाए जा रहे थे। अब सभी गरीब रथ ट्रेन में एसी स्लीपर इकोनॉमी के 20 डिब्बे और ट्रेन के आगे और पीछे एक-एक गार्ड सह जनरेटर वाले डिब्बे होंगे। स्लीपर डिब्बे बढ़ने की वजह से प्रत्येक गरीबरथ एक्सप्रेस में एसी स्लीपर कोच के 352 बर्थ बढ़ जाएंगे। मतलब कि ट्रेन में पहले के मुकाबले अधिक लोग सफर कर पाएंगे।

ट्रेन का रंग भी बदल जाएगा

अभी जो गरीब रथ एक्सप्रेस ट्रेन चल रहे हैं, उसमें बाहरी कोच का कलर हरा है। यह दूर से ही अन्य ट्रेनों से अलग दिख जाती है। अब जो गरीब रथ के नए डिब्बे जुड़ेंगे, उसका रंग लाल है। यही रंग राजधानी और अन्य मेल-एक्सप्रेस के डिब्बों का भी है। इसलिए दूर से देखने पर अब गरीब रथ ट्रेन की पहचान नहीं हो पाएगी। अब ट्रेन को पहचानने के लिए आपको बोर्ड पढ़ना होगा।

 

ट्रेन की बढ़ जाएगी स्पीड

गरीब रथ एक्सप्रेस में लगने वाले आईसीएफ कोच की अधिकतम स्पीड 130 किलोमीटर प्रति घंटा है। जबकि एलएचबी कोच की अधिकतम स्पीड 160 किलोमीटर प्रति घंटा है। इस डिब्बे को मूल रूप से जर्मनी के लिंक-होफमैन-बुश द्वारा तैयार किया गया है। इसका टेक्नोलोजी ट्रांसफर के बाद इसे भारत में ही बनाया जा रहा है। ये डिब्बे पूरी तरह से स्टेनलेस स्टील के हैं, इसलिए पुराने डिब्बों के मुकाबले हल्के तो होते ही हैं, इनमें जंग भी कम लगता है।